मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने मोह को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मोह का त्याग करना परम आवश्यक है। Reply
Can meaning of the sentence , ‘मोह ऐसा है जैसे मरुस्थल में सावन तो आया (दिखता/ लगता) पर पतझड़ न गया (आत्मा से मोह)।’ be clarified please ? Reply
मोह में सब कुछ अच्छा-अच्छा लगता है जैसे सावन आया हो। पर आत्मा में पतझड़ ही रहता है/ उसमें कोई हरियाली नहीं क्योंकि मोह अभी गया नहीं। Reply
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने मोह को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मोह का त्याग करना परम आवश्यक है।
Can meaning of the sentence , ‘मोह ऐसा है जैसे मरुस्थल में सावन तो आया (दिखता/ लगता) पर पतझड़ न गया (आत्मा से मोह)।’ be clarified please ?
मोह में सब कुछ अच्छा-अच्छा लगता है जैसे सावन आया हो।
पर आत्मा में पतझड़ ही रहता है/ उसमें कोई हरियाली नहीं क्योंकि मोह अभी गया नहीं।
Okay.