मोक्ष प्राप्ति में देरी
दो बच्चे देर से स्कूल पहुँचे, शिक्षक के देर से आने का कारण पूछने पर एक बच्चे ने बताया कि –
उसका 1 रूपये का सिक्का खो गया था, उसे खोजने में देरी हो गई ।
दूसरे ने बताया –
इसके सिक्के के ऊपर मैं पैर रखकर खड़ा था और जब वो वहाँ से हटा , तब वह सिक्का उठाकर मैं यहाँ देरी से पहुँचा ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
हम सब की मोक्ष जाने में देरी इन्ही कारणों से हो रही है ।
कोई परिग्रह को खोजने में लगा है,
कोई दूसरे की परिग्रह को हड़पने में ।
3 Responses
This is an excellent story to show how all of us are wasting time on immaterial things and losing sight of our ultimate destination “Mokhsa”.
Our goal should be exactly the opposite : of searching for our soul and giving our possession to others.
perfect analogy….too good..
Jai Jinendra………..
Most of the time we are running to find things for status which we really not required…,
like in this story, coin is not requirement..,
coin dhikha issilye uske peeche bhage and time waste kiya..,
do not look around the world to find things….,
time is very important and very less.
Mokha’s journey is very long and time is very less.