जीव पिछले जन्म में पुरुषार्थ करता है, उसके अनुसार अगले जन्म में पहले योग्यता ग्रहण करता है फिर शरीरादि बनाने के लिये वर्गणायें जमा करता है।
हम बिना या कम पुरुषार्थ करके, कम या बिना योग्यता के सब कुछ जमा/पाना चाहते हैं, इसीलिये दु:खी/असंतुष्ट रहते हैं।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि योग्यता पाने के लिए बहुत अधिक पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पूर्व भव का पुरुषार्थ करने की योग्यता वर्तमान में काम अवश्य आती है लेकिन वर्तमान में भी किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि योग्यता पाने के लिए बहुत अधिक पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पूर्व भव का पुरुषार्थ करने की योग्यता वर्तमान में काम अवश्य आती है लेकिन वर्तमान में भी किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।