रमण

जहाँ रमण नहीं, वहाँ स्मरण ।

आचार्य श्री वसुनंदी जी

सम्यग्दृष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्यादृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण करते हैं ।
जहाँ रमण है, वहाँ भ्रमण ।

शशि-चिंतन

Share this on...

One Response

  1. रमण का मतलब भ़मण होना होता है और स्मरण का मतलब याददाश्त करना होता है।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जहां रमण नहीं, वहां स्मरण ही रहता है। सम्यग्द्वष्टि देव रमण में भी शुभ स्मरण तथा मिथ्या दृष्टि शुभ रमण में भी अशुभ स्मरण करते हैं। अतः सिद्ध होता है कि जहां रमण, वहां भ़मण होना स्वाभाविक होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

February 15, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930