रस पांच…. खट्टा, मीठा, कड़वा, कसैला, चरपरा।
नमक क्यों नहीं लिया ?
जिव्हा के लिये षटरस होते हैं, जिसमें ऊपर के 5+नमकीन।
वैसे नमक मिष्ट में समाहित है*। मिष्ट यानि जो अच्छा लगे और नमक सबको बहुत अच्छा लगता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
(* गुजराती में तो नमक को मीठा ही कहते हैं)
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6 Responses
मुनि महाराज जी ने रस का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जिव्हा/ रसों का स्वाद कम करना चाहिए ताकि त्याग की भावना होगी एवं स्वस्थ्य रह सकते हो!
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मुनि महाराज जी ने रस का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जिव्हा/ रसों का स्वाद कम करना चाहिए ताकि त्याग की भावना होगी एवं स्वस्थ्य रह सकते हो!
‘कसैला’ aur’चरपरा’ ka kya meaning hai, please ?
चरपरा…मिर्ची
कसैला…आंवले का स्वाद।
‘कसैला…आंवले का स्वाद’ yaani ‘khatta-meetha’, na ?
किसी भी स्वाद को Explain करना तो मुश्किल है। बस वह किसमें पाया जाता है, यह बाताया जा सकता है।
Okay.