रूठना
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
न मैं राज़ी, न तुम राज़ी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से ग़र किसी दिन एक ने आँखें….
तो कल इस बात पर फिर
पछताएगा कौन ?
मुनिश्री क्षमासागर जी
One Response
Suresh chandra jain
Roothne se bachne ke liye sabhi ko dharma se judna padega, tabhi sahi hoga.