लक्षण –
संसारी जीव… दु:ख से डरे, पाप से नहीं।
जीव…….. ज्ञान/दर्शन गुण वाला।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीव लक्षण उनके विचारों से मिलता है, यदि वह संसारी है तो दुःख से डरेगा, लेकिन पाप से नहीं। जीव ज्ञान, दर्शन गुण वाला होता है, वही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं। अतः पापों का त्याग करना चाहिए एवं दुःख को सहन करना चाहिए, ताकि जीव ज्ञान, दर्शन की उपलब्धि अवश्य हो।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीव लक्षण उनके विचारों से मिलता है, यदि वह संसारी है तो दुःख से डरेगा, लेकिन पाप से नहीं। जीव ज्ञान, दर्शन गुण वाला होता है, वही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं। अतः पापों का त्याग करना चाहिए एवं दुःख को सहन करना चाहिए, ताकि जीव ज्ञान, दर्शन की उपलब्धि अवश्य हो।