लोभ
लोभ = किसी वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा।
चीजें भाएं, तो बुराई नहीं, पर वे चीजें लुभायें नहीं। जैसे किसी का सुंदर मोबाइल देखकर अच्छा लगे, बुरा नहीं; पर उसके प्रति मन लुभाये नहीं।
न लुभाना स्वाश्रित है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
लोभ = किसी वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा।
चीजें भाएं, तो बुराई नहीं, पर वे चीजें लुभायें नहीं। जैसे किसी का सुंदर मोबाइल देखकर अच्छा लगे, बुरा नहीं; पर उसके प्रति मन लुभाये नहीं।
न लुभाना स्वाश्रित है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
लोभ का तात्पर्य धन पैसा की लालसा या वृद्धि होना है अथवा अन्य पदार्थों में कि यह मेरा है,इस प्रकार का राग रुप वृद्धि होना भी लोभ है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि लोभ का मतलब लुभाने से है, अतः किसी के प़ति मन लुभाना नहीं चाहिए, जबकि न लुभाना स्व-आश्रित है। अतः जीवन में किसी के प्रति राग नहीं होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।