विग्रह गति

कार्मण काययोग से विग्रह गति में कर्मबंध/ उदय, क्षयोपशम आदि बने रहते हैं। कर्मों के साथ कर्मबंध के जो अपने ही प्रत्यय पड़े हुए हैं उनसे बंध होता रहता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- 2/25)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने विग़ह गति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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