विशुद्धता का प्रभाव
आचार्य श्री विद्यासागर जी का बुखार उपचार करने पर भी कई दिनों से उतर नहीं रहा था ।
उनके गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने उन्हें अपने कमरे में सुलाया ।
अगले दिन से बुखार नहीं आया ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
आचार्य श्री विद्यासागर जी का बुखार उपचार करने पर भी कई दिनों से उतर नहीं रहा था ।
उनके गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने उन्हें अपने कमरे में सुलाया ।
अगले दिन से बुखार नहीं आया ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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विशुद्वता का मतलब साता वेदनीय के बंध योग्य परिणाम का नाम है, अथवा कषाय की मंदता का नाम है। अतः उक्त कथन सत्य है कि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को उनके बुखार आने पर कमरे में सुलाया था, जिससे अगले से बुखार नहीं आया था।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशुद्वता के कारण मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी को भी कई दिनों से बुखार आ रहा था लेकिन जब आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को पता चला तो उनके सिर पर हाथ रखकर और समयसार की याद दिलाने पर ही कुछ समय में ही बुखार उतर गया था।