इससे सम्यग्दर्शन प्रौढ़ तथा स्थितिकरण, उपगूहन व वात्सल्य पुष्ट होते हैं।
वैयावृत्ति तीन प्रकार की → मानसिक, वाचनिक एवं शारीरिक हैं।
मधुर वचनों से की गयी मानसिक सबसे महत्वपूर्ण।
आहार के बाद और शाम को वैयावृत्ति नहीं करें।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Share this on...
6 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने वैयावृत्ति का जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः श्रावक को अपना कल्याण करना एवं कर्मो को काटने के लिए साधुओं की वैयावृत्ति करना परम आवश्यक है!
1) ‘प्रौढ़’ ka kya meaning hai, please ?
2) ‘वैयावृत्ति’ se ‘स्थितिकरण’ aur ‘उपगूहन’ kaise पुष्ट होते हैं ?
3) ‘मानसिक वैयावृत्ति’ kaise karte hain ?
4) ‘आहार के बाद और शाम को’, ‘वैयावृत्ति’ kyun nahi karni chahiye ?
प्रौढ़ यानी mature/ बड़ा। स.दर्शन बड़ा/ mature होता है।
2) जिसकी वैयावृत्ति करोगे वह आपकी बात मानकर सही रास्ते पर आ जायेगा।
वैयावृत्ति करने का मतलब वह अपने गुणों तथा सामने वाले के अवगुणों को नज़रअंदाज कर रहा है (ऐलक श्री विवेकानंद सागर जी)
3) मानसिक यानी मन से/ विवेक पूर्वक।
4) आहार के बाद blood circulation तेज नहीं होना चाहिये जो वैयावृत्ति से होती है।
शाम का समय सामायिक का होता है।
6 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने वैयावृत्ति का जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः श्रावक को अपना कल्याण करना एवं कर्मो को काटने के लिए साधुओं की वैयावृत्ति करना परम आवश्यक है!
1) ‘प्रौढ़’ ka kya meaning hai, please ?
2) ‘वैयावृत्ति’ se ‘स्थितिकरण’ aur ‘उपगूहन’ kaise पुष्ट होते हैं ?
3) ‘मानसिक वैयावृत्ति’ kaise karte hain ?
4) ‘आहार के बाद और शाम को’, ‘वैयावृत्ति’ kyun nahi karni chahiye ?
प्रौढ़ यानी mature/ बड़ा। स.दर्शन बड़ा/ mature होता है।
2) जिसकी वैयावृत्ति करोगे वह आपकी बात मानकर सही रास्ते पर आ जायेगा।
वैयावृत्ति करने का मतलब वह अपने गुणों तथा सामने वाले के अवगुणों को नज़रअंदाज कर रहा है (ऐलक श्री विवेकानंद सागर जी)
3) मानसिक यानी मन से/ विवेक पूर्वक।
4) आहार के बाद blood circulation तेज नहीं होना चाहिये जो वैयावृत्ति से होती है।
शाम का समय सामायिक का होता है।
‘वैयावृत्ति’ se ‘उपगूहन’ kaise पुष्ट होता है ?
Okay.
My above doubt has been clarified.