ऐसे संहनन के धारक यदि गिर जांय तो आसानी से फ्रेक्चर नहीं होगा ?
प्रश्न – आसानी क्यों कहा ?
विशेष कारणों/परिस्थितियों में हो भी सकता है ।
मरण के बाद देह-संस्कार भी तो होता होगा न !
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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संहनन का मतलब हड्डियों के संचय को कहते हैं। वज्रवृषभ नाराच संहनन का तात्पर्य जिस कर्म के उदय से शरीर में वज्र के समान अभेघ हड्डियों के ऊपर वज्र का ही वैष्ठन होता है और हड्डियों को परस्पर वाडमय अर्थात कील से जुड़ी रहती है,उसको कहते हैं। अतः उक्त उदाहरण से सिद्ध होता है कि आसानी हो फ़ेकचर नहीं होता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में फ़ेकचर हो सकता है। मरण के बाद देह संस्कार भी होता है।
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संहनन का मतलब हड्डियों के संचय को कहते हैं। वज्रवृषभ नाराच संहनन का तात्पर्य जिस कर्म के उदय से शरीर में वज्र के समान अभेघ हड्डियों के ऊपर वज्र का ही वैष्ठन होता है और हड्डियों को परस्पर वाडमय अर्थात कील से जुड़ी रहती है,उसको कहते हैं। अतः उक्त उदाहरण से सिद्ध होता है कि आसानी हो फ़ेकचर नहीं होता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में फ़ेकचर हो सकता है। मरण के बाद देह संस्कार भी होता है।