श्री द्रव्यसंग्रहानुसार – व्रतों को अच्छे से निभाने से आधा लाभ/पुण्य,
उद्यापन करने पर पूरा लाभ।
यदि उद्यापन न कर सको तो व्रतों को दुगने समय के लिये करो।
उद्यापन से धर्म-प्रभावना होती है (तथा सबको पता भी लग जाता है कि व्रत अच्छे से पूरे हो गये हैं)
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
व़त का तात्पर्य हिंसा, झूठ, चोरी आदि पापों से निवृत होना होता है या जो प़तिज्ञा करके नियम लिया जाता है।उद्यापन का मतलब व़तों के बाद पारणा की जाती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि व़तों को अच्छे से निभाने से आधा लाभ या पुण्य मिलता है। अतः उद्यापन से धर्म प्रभावना होती है, इससे सबको पता चल जाता है कि व़त अच्छे से पूरे हो गए हैं। इससे दूसरों को भी व़त करने की प्रेरणा भी मिलती है।
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व़त का तात्पर्य हिंसा, झूठ, चोरी आदि पापों से निवृत होना होता है या जो प़तिज्ञा करके नियम लिया जाता है।उद्यापन का मतलब व़तों के बाद पारणा की जाती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि व़तों को अच्छे से निभाने से आधा लाभ या पुण्य मिलता है। अतः उद्यापन से धर्म प्रभावना होती है, इससे सबको पता चल जाता है कि व़त अच्छे से पूरे हो गए हैं। इससे दूसरों को भी व़त करने की प्रेरणा भी मिलती है।
यदि उद्यापन न कर सको तो व्रतों को दुगने समय के लिये kyun karne ke liye kaha ?
क्योंकि सिर्फ व्रतों को पूरा करके बिना उद्यापन के आधे पुण्य को पूरा पुण्य करने के लिए ।
Okay.