प्रथमानुयोग में संसारियों तथा ठाठ-बाट का वर्णन क्यों ?
ताकि पहले जान लें कि…
त्याग ज्ञानपूर्वक ही होता है।
जिनको प्राप्य था, उन्होंने त्यागा क्यों !
ये वर्णन परीक्षा करने तथा वास्तविकता का ज्ञान कराने के लिये होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि शास्त्रों को पढ़ने से समझ में आ जाता है कि त्याग ज्ञानपूर्वक ही होता है। यह भी ज्ञात होता है कि जो प्राप्त है, उसके छोड़ने के भाव आ जाते हैं। अतः जीवन में प़थमानुयोग शास्त्र का अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि शास्त्रों को पढ़ने से समझ में आ जाता है कि त्याग ज्ञानपूर्वक ही होता है। यह भी ज्ञात होता है कि जो प्राप्त है, उसके छोड़ने के भाव आ जाते हैं। अतः जीवन में प़थमानुयोग शास्त्र का अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।