शुद्धि 8 प्रकार की – 3 गुप्ति (काय, भाव,भाषा) +
5 समिति रूप (विनय, ईर्यापथ, भक्ष्य, शयनासन, प्रतिष्ठापन)
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि शुद्धी आठ प़कार की होती है,तीन गुप्ति, पांच समिति रुप होती है। अतः इनका पालन निर्ग्रन्थ मुनि ही पालन करते हैं। लेकिन श्रावक को हृदय में शुद्वी बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि शुद्धी आठ प़कार की होती है,तीन गुप्ति, पांच समिति रुप होती है। अतः इनका पालन निर्ग्रन्थ मुनि ही पालन करते हैं। लेकिन श्रावक को हृदय में शुद्वी बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।