गुरु ने मुस्कान के साथ उत्तर दिया -पानी में ही डूबा रहने दो ;भरा ही रहेगा !
इसी तरह हमारी 5 इन्द्रियाँ परमात्मा में ही डूबी रहेंगी तो संसार क्या बिगाड़ लेगा !
तन की जाने, मन की जाने,
जाने चित की चोरी ।
(धर्मेन्द)
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4 Responses
उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – –
जब हमारी 5 इन्दियाॅ परमात्मा में डूबी रहेंगी तो संसार कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। यदि धम॓ से जुडना है तो अपनी इंद्रियों को आत्मा में आत्मसात करना होगा जिससे संसार में आत्मा में कोई विकार उत्पन्न नहीं होंगे, उस समय तन मन चित सब लीन हो जावेंगे।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – –
जब हमारी 5 इन्दियाॅ परमात्मा में डूबी रहेंगी तो संसार कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। यदि धम॓ से जुडना है तो अपनी इंद्रियों को आत्मा में आत्मसात करना होगा जिससे संसार में आत्मा में कोई विकार उत्पन्न नहीं होंगे, उस समय तन मन चित सब लीन हो जावेंगे।
What do we mean by the last line please?
हमारे मन वचन काय में प्रमाद तथा विषयों के प्रति आकर्षण कूट- कूट कर भरा है।
Okay.