संस्कार
बच्चों को बड़ों से शिकायत रहती है। होनी भी चाहिये; तभी तो बड़े बच्चों से शिकायत कर सकेंगे।
पहले राजा तक अपने बच्चों को सुविधाओं से दूर गुरुकुलों में भेज देते थे। तब बच्चे मन ही मन शिकायत तो करते होंगे; पर संस्कार दृढ़ हो जाते थे।
आज संस्कारों के स्थान पर सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। पहले नींव मज़बूत होती थी। पूर्वभव के संस्कार भी महत्त्व रखते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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जीवन में संस्कारों का होना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि पुराने समय में गुरुकुल में राजा महाराजा सभी अपने बच्चों को भेजते थे, जिससे उनको संस्कार मिलते थे, इसके अलावा उनके भविष्य की रुप रेखा बन जाती थी।उस समय संस्कार मजबूत रहते थे एवं नींव मजबूत रहती थी, जो भविष्य में भी काम आते थे। आजकल इसका बहुत आभाव है,कारण पश्चिमी संस्कार मिल रहे हैं, जिसके कारण भारतीय संस्कृति कम होती जा रही है। आजकल आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के द्वारा बच्चियों के लिए प़तिभास्थली खुलवाये गये हैं, जिसके कारण विघालय की शिक्षा के संस्कारों का रोपड़ हो रहा है,यह बहुत प़शननीय कदम है।
“बड़े बच्चों से शिकायत कर सकेंगे” ko thoda explain karenge, please ?
जब बच्चों को शिकायत करने की स्वतंत्रता दी जायेगी तभी बड़ों को शिकायत कहने का अधिकार मिल सकता है।
Okay.