सासादन के साथ सब ग्रंथों में सम्यग्दर्शन शब्द का प्रयोग किया है। मिथ्यात्व गुणस्थान आगे होने वाली पर्याय।
सासादन का काल – पल्य का असंख्यातवाँ भाग।
तीसरे गुणस्थान का काल, दूसरे से संख्यात गुणा।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड – गाथा 659)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सासादन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सासादन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘सासादन’ me jab ‘mithyatva’ ke sanskaar batate hain, to uske aage ‘सम्यग्दर्शन’ शब्द का प्रयोग kyun किया gaya है?
क्योंकि दूसरे गुणस्थान में सम्यक्त्व से ही आते हैं। मिथ्यात्व से कभी नहीं।
Okay.