सुख / दु:ख
पराश्रित सुख से उत्तम स्वाश्रित दुःख है,
तभी तो साधु विषय-सुखों का त्याग करके तप के दुःख को अंगीकार करके सुखी रहते हैं।
क्षु.श्री ध्यान सा.जी
पराश्रित सुख से उत्तम स्वाश्रित दुःख है,
तभी तो साधु विषय-सुखों का त्याग करके तप के दुःख को अंगीकार करके सुखी रहते हैं।
क्षु.श्री ध्यान सा.जी
One Response
Suresh chandra jain
This is very true, swashrit dukh sweekaar karenge tabhi aapko uttam sukh mil paayega.
Sabhi sant isi ko sweekaar karne par sukh ka anubhav karte hain.