Month: August 2010

गुणश्रेणी निर्जरा

  जो सम्यग्दर्शन के अभिमुख खड़ा है ,  उनके गुणश्रेणी निर्जरा होती है । अन्य निरतिशय मिथ्यादृष्टि कहलाते हैं । पं. रतनचंद्रजैन – व्य.कृ.पेज 107

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ज़ेब

ज़िंदगी के पहले कपड़े (लंगोटी) में ज़ेब नहीं होती; आखिरी कपड़े (कफ़न)  में भी ज़ेब नहीं होती । फिर क्यों हम अपनी ज़िंदगी को ज़ेब

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देवों का जन्म

देवों का जन्म एक सम्पुट आकार वाली ( Special आकार जैसे दौनों हाथों को नारियल की Shape में जोड़ें ) विशेष शय्या पर होता है, जो

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Ten Words

Ten Words……………… The Most selfish one – Letter Word……….. “I“ AVOID IT The Most Satisfying Two – Letter Word……….. “WE“ USE IT The Most Poisonous

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एकांत/अनेकांत

सम्यक्-एकांत      – जैसे व्यय होते हुये भी अनंत का क्षय नहीं होता है । मिथ्या-एकांत       – जैसे वस्तु सर्वथा नित्य ही है, या अनित्य ही

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परनिंदा

चलनी ने सुई से कहा कि तेरे मुँह में छेद है । सुई – अपनी ओर तो देख ले, तेरे तो पूरे शरीर में छेद

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तीर्थंकर-प्रकृति

  तीर्थंकर-प्रकृति घोर तप करने से नहीं बंधती बल्कि अपाय और विपाक-विचय-धर्मध्यान से बंधती है ।

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अक्लमंद

जो अकल की बात को अकल में बैठा ले, वह अक्लमंद। बुद्धू को अकल की बात बताओ तो उल्टा पड़ जाता है । तुम क्यों

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निद्रा

प्रश्न : कोई जीव अधिक से अधिक कितने समय तक सो सकता है या जाग्रत रह सकता है ? उत्तर : अन्तर्मुहूर्त से ज्यादा नहीं,

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साधना/आराधना

मोक्षमार्ग दो ही हैं । 1. साधना 2. आराधना जब तक साधना नहीं कर पा रहे हो, तब तक आराधना तो करो । आचार्य श्री

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मंगल आशीष

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August 7, 2010