Month: February 2011

अनुराग

अनु = कम, जो राग को कम करने में सहयोग करे वह अनुराग । श्री लालमणी भाई

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आपदायें

प्रकृति की व्यवस्था है कि आँखों से आंसू बहाकर दृष्टि को निर्मल करती है, गंदगी को दूर करती है । प्रो. रेणु

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Worry

Let our advance worrying become advance thinking and planning. Mr. Winston Churchill

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देवों की सामर्थ्य

देव साधारणत: अकाल मृत्यु में निमित्त बन सकते हैं, पर क्षुद्र आयु (1/24 Second) वालों के अकाल मरण में कारण नहीं हैं । क्योंकि यह किसी

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अनुभव

अनु = कम, जो भवों को कम करने में सहयोग करे वह अनुभव । श्री लालमणी भाई

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भगवान

तू कुछ चाहता है, मैं कुछ चाहता हूँ, होता वह है, जो मैं चाहता हूँ, तू वह करने लग जा जो मैं चाहता हूँ, फिर

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मूर्तिक

हम कितने होशियार हैं – हमने ज्ञान को पुस्तक में, काल को घड़ी में और अमूर्तिक को मूर्तिक में बदल लिया है । हम मूर्तिक

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ज्ञान/आस्था

विपत्ति में ज्ञान चिल्लाता है, आस्था झेलती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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हुंड़ावसर्पिणी

हुंड़ावसर्पिणी का प्रभाव अवसर्पिणी में ही क्यों होता है, उत्सर्पिणी में क्यों नहीं ? शायद इसलिये क्योंकि गिरते हुये में ही दोष दिखायी देते हैं,

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मंगल आशीष

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