Month: May 2011
अहं
अहं करना ही है तो अपने स्वरूप का करो, अहं से अर्हम (अरहंत/भगवान) बन जाओगे । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
कर्म
जब ज़िंदगी हंसाये तब समझना की अच्छे कर्मों का फल है, और जब ज़िंदगी रूलाये तब समझना की अच्छे कर्म करने का समय आ गया
क्षमा
क्षमा रूपी तलवार जिसके हाथ है, दुर्जन उसका क्या कर सकता है। जैसे ईंधन से रहित स्थान में पड़ी हुई अग्नि स्वयं ही शांत हो
परमावधि/सर्वावधि
सर्वावधि की अपेक्षा परमावधि में कथंचित देशावधिपना है। वैसे परमावधि तथा सर्वावधि चरमशरीरी संयतों के ही होता है। जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश-1/195
Trust
When you reach to edge of difficulty, Trust Him fully, Two things can happen – 1) He will catch you, if you fall, 2) Or
भूमिका
भूमिका यानि भूमि तैयार करना। ध्यान रहे, हमारा जीवन भूमि तैयार करने में ही न निकल जाये। आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्मोदय
कर्मोदय के समय शुरू-शुरू में ’’प्रदेश’’ बहुत उदय में आते हैं, और ’’अनुभाग’’ बहुत कम ।
Liar
No man has a good enough memory to make a successful liar. Mr. Abraham Lincoln ( 16th President of US )
परोपकार
प्रश्न:- मेरे अच्छे कर्मों का इनाम कोई दूसरा ले जाये तो दुःख तो होगा न ? श्रीमति शर्मा उत्तर:- शुभ कर्म करते ही आपकी भाग्य
मध्यम रास्ता
Projectile Motion अधिक से अधिक किसी वस्तु को दूर फेंकने के लिये Sin 2 Ø से Calculate किया जाता है। इसमें यदि Ø = 45
Recent Comments