Month: December 2011

राह

पूजा/भक्ति राह* से करोगे तो, राह** मिल जायेगी । *स्वर                              

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बेईमानी

व्यवहार में, बेईमानी आटे में नमक के बराबर तो समाज झेल लेता है, पर नमक में आटा नहीं गुथ सकता, नहीं चलता है । श्री

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उपयोग

शुद्धोपयोग भी केवलज्ञान की अपेक्षा से अशुद्धोपयोग है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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Strength

Fight with your STRENGTH, not with others WEAKNESS, Because true success lies in your EFFORTS and not in others DEFEAT. Late Shri R. B. Garg

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विकृतियां

ठंड़ी हवा के लिये खिड़की खोलोगे तो , मक्खी मच्छर तो आयेंगे ही । श्री सौरभ जैन – नोयड़ा (जमाने की सुहावनी हवा लोगे, तो समाज

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ध्यान

ध्यान तो अशुद्ध दशा में ही होता है, ध्येय की प्राप्ति शुद्ध अवस्था में होती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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सकारात्मकता

जब लगे कि – सब दरवाजे बंद हो गये हैं, तब सोचना – बाहर तूफान आ रहा होगा, मेरे लिये यही safe है । (सुश्री

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संग्रह/लिप्सा

संग्रह लोभ से करते हैं, लिप्सा अति लोभ से करते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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