Month: December 2011

संसार

मन की मान्यताओं का नाम बंधन है । यह बंधन ही संसार है ।

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अवगाहना

बिना मोड़े वाले जीव की अवगाहना मोड़े वाले जीव की अपेक्षा कम होती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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हवस

सनक और हवस एक से होते हैं, दोनों में ही दूसरों का ख्याल नहीं रखा जाता, सिर्फ अपना ही Interest ध्यान रहता है । चिंतन

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सुखी

सुखी दो ही तरह के लोग होते हैं – 1. बच्चा 2. सच्चा मुनि श्री सुनील सागर जी

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Advice

We will definitely succeed in our life, If we follow all the advices that we give to others. (Dr. Sudheer)

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आदत

किसी का भविष्य पता करना हो तो, उसका भूत (Past) देख लें । Dr. P. N. Jain

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अपने

दुश्मनों से प्यार होता जायेगा, बस, अपनों को आज़माते जाइये । (श्री अंकुश – बड़ौदा)

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गति नाम कर्म

1. जिसके उदय से आत्मा भवों में जाती है । 2. जिसके उदय से पर्याय रूप अनुभूति हो । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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देवदर्शन

मंदिर में भगवान के दर्शन करने नहीं, उनके माध्यम से अपने दर्शन करने जाना चाहिये । अपने को पहचानने का माध्यम है, देवदर्शन । चिंतन

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मंगल आशीष

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