Day: January 4, 2012
ज़िंदगी
January 4, 2012
कोई ख्वाईशों की चाह में रोया, तो कोई दु:खों की पनाह में रोया, अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का , कोई विश्वास के लिये रोया,
कोई ख्वाईशों की चाह में रोया, तो कोई दु:खों की पनाह में रोया, अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का , कोई विश्वास के लिये रोया,
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