Day: March 21, 2012

नय और दर्शन

नय दृष्टिकोण का विषय है, दर्शन अभिप्राय का विषय है (कुमति, सुमति दोनों)। पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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पद

पद* में रहो , पद* पर नहीं । (*पद = चरण/Position) चिंतन – श्री लालमणी भाई

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मंगल आशीष

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March 21, 2012