Month: April 2012

प्रगति

जब तक प्रीती (मोह) और भीती (भय) रहती है, तब तक प्रगति नहीं हो सकती है ।

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मानवता

हवन/पूजा में टनों घी की आहुती दे देते हैं, पर माँ बाप को रोटी पर घी लगाने को नहीं देते हैं । आचार्य श्री विशुद्धसागर

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Silence

There is always a little truth behind “मजाक कर रहा था” A little emotion behind “मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता” A little pain behind  –

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तिरस्कार

तिरस्कार को यदि सही परपेक्ष में लिया जाए, तो वह प्रेरणाश्रोत बन जाता है । तुलसीदास जी की पत्नी का तिरस्कार ही उनकी महानता में

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स्वानुभवी

जहाँ ना पहुंचे रवि, वहाँ जाए कवि, जहाँ ना पहुंचे कवि, वहाँ जाए स्वानुभवी ।

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Simple

Living is very simple.. Loving is also simple.. Laughing is too simple.. Winning is also simple.. But being ‘Simple’ is very Difficult. (Mr. Sanjay)

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जीवन

जीवन एक खुली किताब है, इसे पढ़ना क्या !

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प्रिय सत्य

एक शेर को अपना मंत्री नियुक्त करना था, उसने सब जानवरों को बुला कर पूँछा – मेरे मुँह से कैसी गंध आती है ? गधे

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Trouble

If one day we are put to exchange all our troubles across the table, after a few moments, each one would silently take his own

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धन अर्जन

धन अर्जन, धर्म के साथ किया जा सकता है, पर धन का सदुपयोग तप है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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April 30, 2012

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