Month: May 2012
Known to Unknown
May 4, 2012
Going in to the UNKNOWN, makes you expand what is KNOWN. (Toshita)
शब्द/भाव
May 3, 2012
शब्दों में वज़न होता है, भाव उनमें जान ड़ालते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
बंधन
May 2, 2012
हम तो वंदन में भी बंधन रखते हैं , समय का/घर जल्दी लौटने का । आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
मन:पर्यय
May 2, 2012
विपुलमती मन:पर्यय ज्ञानी वर्धमान चारित्री ही होते हैं, अत: वे उपशम श्रेणी आरोहण नहीं करते । यदि वे उपशम श्रेणी आरोहण करेंगे तो यथाख्यात चारित्र
Revenge
May 1, 2012
Live well and happily in this world… It’s the best revenge to those who have cheated you and avoided in their life. (Mr. Dhermendra)
Recent Comments