Month: June 2012
इंसान
इंसान को नमक की तरह होना चाहिए, जो खाने में रहता है पर दिखाई नहीं देता, और ना हो तो उसकी कमी बहुत महसूस होती
भूल
ज़िंदगी भर एक ही भूल करते रहे, दिल से रोये और चेहरे से हंसते रहे । चाह कर भी भूल सुधार नहीं पाये, क्योंकि धूल
आत्मा
आत्मा तो लोक-प्रमाण है, शरीर-प्रमाण तो शरीर नाम कर्म की वजह से रहती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
Help
There are two hands eagerly waiting to help you at any difficult situations & they are at the end of your own shoulders ! Swami
स्वभाव/संस्कार
स्वभाव इसी जन्म में बनता है, जबकि संस्कार इस जन्म के भी हो सकते हैं और जन्मजन्मांतरों के भी । चिंतन
भद्र परिणामी
जो अपनी और दूसरों की गलतियों के लिये भी अपने को दोषी मानता है और उसके लिये पश्चाताप करता रहता है ।
सीधापन/घमंड़
चाणक्य ने कहा है कि – जंगल में सीधे तने वाले पेड़ सबसे पहले और सबसे ज्यादा काटे जाते हैं । (श्री गौरव)
Collector
(श्री आर. के. जैन के शिवपुरी collector का चार्ज संभालने पर ) 1. Character वाला ही collector (जिलाधीश) बनता है , Characterless तो सिर्फ collector
संयम/असंयम
संयम मशीन में ड़ालने वाला तेल है, असंयम मशीन में कंकड़ पत्थर है । ड़ा. एस. एम. जैन
अतिशय
छोटा मोटा जादूगर भी अपना जादू सभ्रांत/धनाढ़्य लोगों को ही दिखाता है । तो देवकृत अतिशयों की आजकल कैसे आशा करते हैं, जबकि हमारे पुण्य
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