Month: June 2012

अभिमान

जो मानता स्वंय को सबसे बड़ा है, वह धर्म से अभी बहुत दूर खड़ा है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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Human

Human of modern age has learnt…. To fly in air like Birds, To swim in water like Fish, But unfortunately forgot to walk on Earth

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सपने

जिन्हें सपने देखना अच्छा लगता है, उन्हें रात छोटी लगती है । और जिन्हें सपने पूरे करना अच्छा लगता है, उन्हें दिन छोटा लगता है

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निंदा

यदि आप दूसरों को “टेका” (सहारा) न दे सकें तो कोई बात नहीं, लेकिन “टीका” (निंदा) तो न करें ।

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लोभ

लोभ अदॄष्य पिंजरा है, इसमें एक बार फंसे तो हमेशा के लिये कैद हो जाओगे ।

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मान

मान शरीर का भोजन है, अपमान आत्मा का ।

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संसार

संसार सागर के किनारे कभी मिलते नहीं है । चिंतन

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पर

अपने आपको हम आनंद में नहीं रख पाते, तब दूसरों को आनंदित कैसे कर सकते हैं । चिंतन

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पाना/खोना

किसी को पाने के लिये हमारी सारी खूबियां भी कम पड़ जाती हैं….!! पर ये भी सच है – किसी को खोने के लिये एक कमी

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मतलबी संसार

दूध पी लेने के बाद कुल्लड़ को फेंकते ही नहीं, जमीन पर जोर से मारते हैं और उसके टूटने की आवाज़ से खुश होते हैं

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मंगल आशीष

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June 21, 2012