Month: June 2012

बोलना और बैठना

बोलो तब तक, जब तक कोई ये न कहने लगे कि बस बंद करो । बैठो ऐसी जगह कि कोई उठने को न कहे ।

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गौरव/गर्व

गर्व में सिर्फ घमंड़ है, गौरव में घमंड़ तथा आनंद है । पं रतनलाल बैनाड़ा जी

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Ego

‘E G O’ (EVIL GOING ON) Is the only requirement to destroy any relationship. So be the bigger person, Skip the “E” and let it

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अच्छा इंसान

अच्छा इंसान फूल की तरह होता है, जिसे  हम छोड़ भी नहीं सकते और तोड़ भी नहीं सकते, तोड़ दिया तो मुरझा जायेगा और छोड़

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उदीरणा

उदय व उदीरणा अकाम या सविपाक निर्जरा में भी  होतीं  हैं । पं. जवाहर लाल जी

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समझाना

हम समझते कम हैं, समझाते ज्यादा हैं; इसलिए सुलझते कम हैं, उलझते ज्यादा हैं ! श्री अंकुश

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संसार/परमार्थ

4 वर्षीय देवांशी जैन को उसके मामा ने 100 रू. का नोट भेंट किया । देवांशी ने नोट को उल्टा पकड़ा और वापिस करते हुये

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व्यस्तता

उसे कहाँ फ़ुरसत है, फ़रियाद सुनने की; जो भी कहना है, कहो दो शब्दों में ।

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Decoration

A person interested in the physical decoration of himself,  has no energy left behind to develop his spiritual facilities. (Mr. Sanjay)

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नज़र/नसीब

नज़र और नसीब के मिलने का इत्तफ़ाक कुछ ऐसा है – कि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है, जो नसीब में नहीं होती

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मंगल आशीष

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June 11, 2012