Day: August 17, 2012

साथी

चलते चलते देखता हुँ, अनायास ही कोई ना कोई साथ हो जाता है । कुछ दूर, वह साथ चलता है । फ़िर या तो ठहर

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मंगल आशीष

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August 17, 2012