Month: August 2012

यथासंभव

जार्ज वर्नाड़ शा के भाषण समाप्त होने पर, एक महिला ने आकर भाषण को सराहा पर शिकायत की – आप बीच बीच में अपनी पेंट

Read More »

Language

Don’t worry too much about sugar in blood… Worry about spice on the Tongue.

Read More »

दुर्जन/सज्जन

दुर्जन की कृपा बुरी,भली सज्जन की त्रास । जब सूरज गर्मी करे, तब बरसन की आस ।। (श्री सुनील जैन)

Read More »

अपने

दर्द हमेशा अपने ही देते हैं, वरना गैरों को क्या पता – आपको तकलीफ किससे होती है । (श्री श्रेयांस भैया)

Read More »

कर्माश्रव

आत्मा से बंधने कर्म बाहर से नहीं आते । जितने क्षेत्र में आत्मा स्थित है उसी क्षेत्र में अनंत वर्गणायें हैं, वे कर्मरूप परिवर्तित होकर

Read More »

Great

The small moon can eclipse the great sun, I too can do great things, if I set my self in the right place at right

Read More »

अभ्यस्त

वनस्पति घी खरीदते समय पूँछते हैं – यह असली तो है ना ? नकली को असली मानने लगे हैं, क्योंकि आदत पड़ गयी है ।

Read More »

समय

समय को समय देने का भी समय नहीं है । समय दान भी बहुत महत्वपूर्ण है ( धर्म में समय लगाओ ) ।

Read More »

Victory

Victory is always at our feet; But the problem is we are lazy to bend. (Mrs. Shuchi)

Read More »

दु:ख

चोट लगने के बाद खुरंट (समय का) बनना शुरू हो जाता है । यदि चोट को बार बार सहलाते रहें/खुजाते रहें तो वह चोट नासूर

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 14, 2012