Month: November 2012
ध्यान
November 3, 2012
ध्यान चारित्र गुण की निर्मल पर्याय है, जितने अंशों में चारित्र की निर्मलता है उतने अंशों में ध्यान है । इसे रत्नमयी कहा है ।
Adjustment
November 3, 2012
If you can not find the brighter side of life then polish the darker side. Attitude of adjustment is the only instrument to live a
माल/मल
November 2, 2012
माल और मल में फ़र्क सिर्फ ‘आ’ का है, चंदन हो, केसर, पुष्प या बादाम हो, कैसा भी माल हो, शरीर के नज़दीक आते ही
रिश्ता
November 1, 2012
एक सवाल – रिश्तों का क्या मतलब होता है ? जहाँ मतलब हो वहाँ रिश्ता ही कहाँ होता है ? (ड़ॉ सुधीर)
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