Month: November 2012

ध्यान

ध्यान चारित्र गुण की निर्मल पर्याय है, जितने अंशों में चारित्र की निर्मलता है उतने अंशों में ध्यान है । इसे रत्नमयी कहा है ।

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Adjustment

If you can not find the brighter side of life then polish the darker side. Attitude of adjustment is the only instrument to live a

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माल/मल

माल और मल में फ़र्क सिर्फ ‘आ’ का है, चंदन हो, केसर, पुष्प या बादाम हो, कैसा भी माल हो, शरीर के नज़दीक आते ही

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रिश्ता

एक सवाल – रिश्तों का क्या मतलब होता है ? जहाँ मतलब हो वहाँ रिश्ता ही कहाँ होता है ? (ड़ॉ सुधीर)

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मंगल आशीष

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November 3, 2012

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