Month: December 2014

मोह

माल जब तक दुकान में हो तब तक मोह फिर भी समझ आता है, माल बिकने के बाद मोह कैसा ? पर हम तो जीव

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Problem

Problem and Difficulty is like stack of cotton, It looks huge for those who see it, easy for those who handle it. (यदि अपने आँसुओं

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साता

जो पाता है ,सो भाता नहीं, जो भाता है ,सो पाता नहीं । इसीलिये साता नहीं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भेस

Base बनाने के लिये भेस जरूरी है, पर सिर्फ भेस से काम नहीं चलेगा । चिंतन

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धर्म ध्यान

सम्यग्दृष्टि के पहले दो, मिथ्यादृष्टि के शून्य, देशव्रती के तीन और महाव्रती के चारों धर्मध्यान होते हैं । मुनि श्री कुंथुसागर जी

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संगति

जब निर्जीव खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदल सकता है, तो हम तो सजीव हैं तो अच्छी/बुरी संगति का असर हम पर नहीं होगा ?

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Future

Future can only be predicted if you yourself have created it. (Mr.Arvind barjatya)

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शरीर

पं. श्री दरबारीलाल जी कोठिया न्यायाचार्य के समाधिमरण के दौरान उन्होंने आचार्य श्री को बताया की शरीर बहुत तंग कर रहा है । आचार्य श्री –

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मंगल आशीष

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December 14, 2014