Month: March 2015
होली
March 5, 2015
असली होली – जब मैं भगवान की “हो-ली”, जब मैं भक्ति के रंग में रंग ली, आनंद रुपी गुलाल से पूरे आसमान को भरली। चिंतन
शैतान और भगवान
March 4, 2015
शैतान से जितना डरते हो, उतना यदि भगवान से डरने लगो, तो जीवन से शैतानियत ही समाप्त हो जाय । चिंतन
पराधीनता
March 3, 2015
आजकल गृहणीयाँ सेवकों का इंतजार ऐसे करती हैं जैसे करवा-चौथ के दिन चाँद का करती हैं। (बंटी-ग्वालियर*) *सेवक
Attitude
March 2, 2015
Life is best for those who are enjoying it. Difficult for, who are comparing. Worst for, critics. (Divya-London)
भगवान की क्षुधा
March 2, 2015
परम औदारिक शरीर (13, 14 गुणस्थान) होने के बाद तो भगवान की क्षुधा होगी ही नहीं, क्योंकि उनके शरीर में जीव समाप्त हो जाते हैं।
दौलत
March 1, 2015
दौलत की भूख मिटाने, कमाने निकल गये; बच्चों के साथ रहने की फुरसत न मिल सकी। और जब फुरसत मिली भी तो, बच्चे खुद दौलत
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