Month: April 2015
बचपन
बच्चा बड़ा कब से माना जाये ? जब से उसके अंदर ग्रंथियाँ पड़ने लगें, अपने पराये की ।
मोह/कर्तव्य
अपनों के लिये किये गये कार्य प्राय: मोहवश होते हैं, दूसरों के लिये किये गये कार्य कर्तव्यवश । चिंतन
सही राह
सही राह पर चलने वाले क्या पाते हैं, यह तो पता नहीं, पर कुछ खो नहीं सकते, यह निश्चित है । मुनि श्री कुंथुसागर जी
सुनना
कटु शब्दों को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दें। प्रशंसा के लिये दोनों कान बंद कर लें। धर्म-चर्चा के लिये दोनों खुले रक्खें
अहंकार
धर्म का भी अहंकार होता है , और उसका नाम है अधर्म , तो अधर्म का अहंकार कितना भयानक होगा !!
सुख/संतोष
सुख की चाहना द्वंद पैदा करती है, संतोष की चाहना शांति । (श्रीमती दीपा)
अपर्याप्तक
विग्रह गति में अपर्याप्तक, योनि स्थल पर पहुँचने के बाद लब्धि या निवृत्ति, बाद में निवृत्ति-अपर्याप्तक ही पर्याप्तक बन जाते हैं । ये चारों विभाजन
सत्य
प्रियजन तो हमारे बारे में झूठ ही बोला करते हैं । सत्य तो सिर्फ दुश्मन ही बोल सकता है ।
दिगम्बरत्व
नग्न वह है, जिस पर कपड़े न हों । दिगम्बरत्व नग्नता नहीं है, दिग हों अम्बर जिसके, वे दिगम्बर हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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