Month: May 2015
संवेदना
संवेदनशील ही सत्संग में जाकर सद्भावनाओं को परिष्कृत करता है । उससे आत्मशुद्धि कर, सिद्धि को प्राप्त करता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Absolute
One can speak lie, but no one can speak only lie. Shri Ratn Sunder Sureswar ji
भेदज्ञान
चौथे गुणस्थान में भेद- ज्ञान पर श्रद्धा, आगे के गुणस्थानों में भेद- ज्ञान घटित । आचार्य श्री विद्यासागर जी
मृत्यु
मृत्यु से भय क्यों ? पुराने सम्बंधों को छीन लेती है ! मृत्यु तो पुरानी गंध में , बसंत की सूचना है । देहावसान है
खामोशी
खामोशी से भी कर्म (धर्म) होता है, मैंने देखा है- पेड़ों को छांव देते हुए। (शैला)
Test
Perception of beauty is a moral test. (in all fields – materialistic & natural)
मृत्यु
संसार रूपी किताब के हम पन्ने हैं। मृत्यु ,पन्ना पलटना है, किताब से अलग होना /फटना नहीं। पन्ना पलटने पर, उस पर लिखा उपयोगी याद
निंदा
निंदा न करने वाला तो अपना कल्याण कर ही सकता है, करने वाला* भी कल्याण कर सकता है। लेकिन निंदा सहने वाले का कल्याण अवश्यम्भावी
लोभ
जिनको अंदर के वैभव का एहसास हो जाता है, उनका बाहर के वैभव के प्रति आकर्षण समाप्त हो जाता है। (शशि)
Action
Difference between – “What you are” & “What you want to be” is – “WHAT YOU DO” (Parul-Delhi)
Recent Comments