Month: May 2015

शुभ/अशुभ

सत्ता में यदि शुभ वर्गणायें अधिक हैं तो वे अशुभ को अपने रूप में परिवर्तित कर लेंगी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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निर्वाण

निर्वाह = जीवन यापन निर्माण = जीवन मूल्यों की स्थापना निर्वाण = जीवन मूल्यों की स्थापना का फल मुनि श्री प्रमाण सागर जी

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महूर्त

सिर्फ दो activities बिना मुहूर्त के होती हैं- जन्म और मरण और ये दो activities ही सफल रहती हैं / निर्विघ्न तथा शाश्वत होती हैं।

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शाकाहार

प्रकृति, प्रत्येक जीव का आहार खुद तय करती है। Test – Raw condition में – दिखने में आकर्षण तथा खाने में जायकेदार। Non-veg खाने वाले

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परोपकार

चलो चाँद का किरदार निभायें हम सब, दाग अपने पास रखकर, रोशनी बाटें सबको । (मंजू)

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पर उपदेश

बादल कितना पानी बरसाते हैं, पर छाता, बादलों की ज़गह अपने पर लगाते हैं। पापों से अपने को नहीं, दुनिया को बचाने में क्यों लगे

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सत्य

सत्य परेशान कर सकता है, पराजित कभी नहीं । (ब्र.संजय)

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दान

कौन से दान को प्राथमिकता देनी चाहिए ? जिसका अवसर पहले आ जाय । मुनि श्री प्रमाण सागर जी

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जीव समास

संयम मार्गणा में असंयम तथा सम्यक्त्व में मिथ्यात्व क्यों लिया गया ? जीव बहुत बड़ी संख्या में इन श्रेणियों में भी पाये जाते हैं । संयम/सम्यक्त्व

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मायाचारी

मधुमक्खी के मुँह में शहद, दुम में डंक होता है। सावधान- हर मीठा बोलने वाला साधु नहीं होता । (मंजू)

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मंगल आशीष

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May 23, 2015