Month: July 2015
रिश्ता वही, सोच नयी
July 5, 2015
बहन से पूछा – भाई कैसा चाहिए ? रावण जैसा क्यों ? उसने अपनी बहन के लिये अपना राज्य दाँव पर लगा दिया । (शुची)
मन
July 4, 2015
शरीर पूरा पवित्र नहीं हो सकता, फिर भी हम उसे पवित्र करने में लगे रहते हैं। मन पवित्र हो सकता है, पर उसकी ओर हमारा
कृतज्ञता
July 2, 2015
पाँव सूखे पत्तों पर, अदब से रखना, धूप में माँगी थी तुमने पनाह इनसे कभी। (डा.मनीष)
मतिज्ञान
July 2, 2015
इसमें पूर्णज्ञान होता है (धारणा तक) आभास नहीं, जातिस्मरण भी इसी से । श्रुतज्ञान आगे का विश्लेषण । मुनि श्री निर्वेगसागर जी
कारण / भागेदारी
July 1, 2015
दूसरों के – सुख में “कारण” बनो, “भागीदार” नहीं । दुःख में “भागीदार”, “कारण” नहीं । (मंजू)
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