Month: June 2017
विश्वास / अंधविश्वास
विश्वास : आदर्श पर विश्वास करके अपना कल्याण कर लेने का विश्वास, अंधविश्वास : आदर्श ही मेरा कल्याण कर देगा ।
भक्ति
भगवान की वंदना करते हुए सब पक्षी नृत्य करने लगे, पर मोर ने अपने प्रिय पंखों का विसर्जन किया । पंख यानि पक्ष यानि अहंकार का
सुधारना
सुधारने से नहीं, (ख़ुद) सुधरने से सुधरते हैं । ऐसे सुधरे मुड़ जाते हैं, फिर मुड़कर नहीं देखते हैं । क्षु. श्री ध्यानसागर जी
धर्मानुष्ठान
इतने धर्मानुष्ठान होने पर भी पाप बढ़ क्यों रहे हैं ? क्योंकि धर्मानुष्ठान से ज़्यादा पापानुष्ठान हो रहे हैं, जानवरों के कत्ल की चीखों की
विषय-भोग
समुद्र में नहाने का सुख विषय-भोग का सुख है – जब तक नहाये आनंद, बाद में खुजली, मीठे जल से नहाना होता है ।
मोहनीय की शक्ति
धर्म-ध्यान से मोहनीय कर्म का क्षय दसवें गुणस्थान तक हो जाता है तो ज्ञानावरण आदि कर्मों का क्षय क्यों नहीं होता है ? आचार्य श्री
समाजवाद में कर्मसिद्धांत
समाजवाद में सुविधायें एक सी हो सकती हैं, पर स्वास्थ्य/स्वभाव कर्मानुसार ।
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