धर्मानुष्ठान

इतने धर्मानुष्ठान होने पर भी पाप बढ़ क्यों रहे हैं ?

क्योंकि धर्मानुष्ठान से ज़्यादा पापानुष्ठान हो रहे हैं, जानवरों के कत्ल की चीखों की आवाज़ों में मंत्रोचार की आवाज़ें दब जाती हैं।
आज जो कुछ धर्म बचा है, वह उन्हीं धर्मानुष्ठानों के कारण है ।

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सही है…
    आजकल, धर्म के नाम पर धर्मानुष्ठान हो रहे हैं, लेकिन उनको धर्म क्यों कह रहे हैैं​, यह ज्ञान नहीं है। धर्म के प्रयोजन को समझने की कोशिश करनी चाहिए। धर्म से भावों में पवित्रता एवम् चारित्र आ जावेगा, तभी स्वयं का कल्याण होगा एवम् धर्म में आस्था बढ़ती जावेगी ।

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