Month: November 2017

पारिणामिक भाव

भवत्वादि पारिणामिक भाव हैं, आत्मा के स्वभाव नहीं । क्योंकि 13वें गुणस्थान में भवत्व छूट जाता है । कुछ आचार्यों ने तो 14वें गुणस्थान में

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नर्म मिजा़जी

ये नर्म मिजा़जी ही है, कि फूल कुछ नहीं कहते !.. वरना कभी दिखलाइये, कांटों को मसलकर….!! (मंजु)

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ज्ञानी / विद्वान

ज्ञानी शरीर और आत्मा के भेद को जानता/मानता है, उलझाता नहीं/सुलझाता है,बिखरे को समेटता है; पर विद्वान नहीं ।

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प्रायश्चित

दोषों में छेद कर देना । बीमारी में कड़वी दवा दंड़ नहीं होती, ऐसे ही प्रायश्चित , बीमारी अच्छी करने की विधि है ।

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निर्णय

आग्रह, आशंका, आवेश और आसक्ति में लिये गये निर्णय सही नहीं होते ।

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उपयोग

आटे से रोटी बनाना – उपयोग, खुद और दूसरों को खिलाना – सदुपयोग, बिगाड़ना – दुरुपयोग

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सत्य-दर्शन

बेहोशी में भी कुछ सत्य दिख सकता है पर गलत मान्यता वाले को/मोहित को सत्य भी असत्य दिखता है ।

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तीर्थंकर प्रकृति उदय

सूर्योदय कमल के खिलने में कारण नहीं, बल्कि सूर्योदय से पहले की आभा कारण होती है । पहले तीन कल्याणक आदि तीर्थंकर प्रकृति के उदय

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कर्म / पूजा

हर कर्म पूजा नहीं होती । जो खटकर्म/दुष्कर्म से हटकर सत्कर्म किया जाता है, वह पूजा होती है ।

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मंगल आशीष

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November 30, 2017

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