Month: January 2018
जन्म / मरण
जनसाधारण जन्म से खुश, मरण से डरता है; साधुजन मृत्यु का महोत्सव मनाते हैं, जन्म से डरते हैं (गर्भ की पीड़ा/बार-बार जन्म से) । मुनि
स्याद्वादवाद
(एक हाथ में पेन दिखाकर)… तो पेन है भी, नहीं भी है (द्रव्य, क्षेत्र, की अपेक्षा) । मुनि श्री सुधासागर जी
प्रदेश बंध
11 से 13 गुणस्थानों में प्रदेश बंध, निचले गुणस्थानों के प्रदेश बंध से बहुत कम होता है , क्योंकि योग बहुत कम हो जाता है
नींद में कर्मबंध
नींद भी प्रवृत्ति है, निवृत्ति नहीं, तो प्रवृत्ति में तो कर्मबंध होगा ! पर जागते समय रागादि ज्यादा होता है सो कर्मबंध अधिक होगा। मुनि
भारतीय संस्कृति
राम के बिना मांगे, राज्य दिया; माँ, बिना मांगे भोजन देती है; भगवान से मांगने की जरूरत नहीं, बिना मांगे मिलेगा ।
तप
तप से शरीर को नहीं (शरीर के माध्यम से) आत्मा को सुखाया जाता है (तभी तो कर्म जलते हैं) । मुनि श्री सुधासागर जी
आलोचना
ज्योति की कालिख़, धुंआ है । (मानवीय गुणों की कालिख़ आलोचना है) मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सुख / आनंद
अकारण सुख प्राप्ति को आनंद कहते हैं। (श्रीमति शर्मा) कारणों में सुख ढूढना बंद कर दें, तब आत्मा का स्वाभाविक आनंद स्वत: ही आने लगेगा।
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