Month: March 2018
आत्मानुभूति
सराग – आत्माचिंतन तो सब जीवों को सब गुणस्थानों में हो सकता है (जैसे मैं जीव हूँ/आज्ञाविचय से आत्मा ऐसी-ऐसी है ) । वीतराग –
पाप
पाप परिस्थिति नहीं कराती, मन:स्थिति कराती है । जिस परिस्थिति में रागी पाप करता है, उसी परिस्थिति में वैरागी पुण्य करता है । क्षु. श्री
भगवान महावीर का सिद्धांत
एक तरफ भगवान के दर्शन हों, दूसरी ओर चींटी की रक्षा तो पहले चींटी की ओर देखो । चींटी की ओर देखोगे तो भगवान बनोगे,
प्रतिमा
आदिनाथ भगवान के समय इंद्र ने मंदिरों में अरिहंत भगवान की प्रतिमा स्थापित की सीमंधर भगवान की नहीं क्योंकि वे भरत क्षेत्र से संबंधित नहीं
सुखी होने की विधि
कर्मशक्ति और पुण्यशक्ति के अनुरूप जो इच्छाशक्ति रखते हैं, वे ही सुखी रहते हैं । (सुरेश)
अनिवृत्तिकरण
अ = नहीं, निवृत्ति = भिन्नता, करण = परिणाम । एक समयावर्ती जीवों के एक से परिणाम, पर द्वितीय समय में अनंतगुणी विशुद्धता । श्री
होली
पल पल *रंग* बदलती दुनिया… और लोग पूछते हैं…. *होली* कब है…???? (एस.एम.जैन)
Recent Comments