Month: April 2018
नारी
नारी नदी है, फसल पैदा करने में मुख्य भूमिका निभाती है । लेकिन जब वासना की बाढ़ आ जाय तो उसी फसल को बर्बाद भी
सप्रतिष्ठित / अप्रतिष्ठित
प्रत्येक जीव जब सप्रतिष्ठित होता है तो अनंत जीव उसके आश्रित रहते हैं । अप्रतिष्ठित होने पर असंख्यात/संख्यात उस शरीर में रहते तो हैं पर
उम्र
हम बड़े हो रहे हैं या छोटे ? उम्र घट रही है तो हम सावधान क्यों नहीं हो रहे हैं ?? स्टेशन पास आ रहा
पुण्य/पाप
पुण्य बड़ा स्वाभिमानी होता है, यदि उसे हेय कहा तो वह तुम्हारे पास रहेगा नहीं । पाप बेशर्म होता है, कितनी भी गाली दो वह
देवालय
जिस देह में समृद्ध आत्मा हो, उस देह को देवालय कहा है, दिवालिया देह को नहीं । आत्मा का दर्शन करना है तो दर्पण पर
कर्म सिद्धांत
देवों को दया नहीं आती ? वे कत्लखाने बंद क्यों नहीं कराते ?? वे अवधिज्ञान से जानते हैं कि कटने वाले अपने पापों का फल
तारीफ की भावना
तालियाँ सुनने का भाव आये तो सोचना – उनको कैसा लगता होगा जिनको तालियाँ नहीं मिलतीं । दोनों हाथों से पुरुषार्थ करो तो दोनों हाथों
पुरुषार्थ/पुण्य
आहार देने का भाव क्षयोपशमिक, पड़गाहन होना पुण्य । मुनि श्री सुधासागर जी
धार्मिक क्रियायें
दिन की शुरूआत मंदिर से करने वाले प्राय: अपना ईमान मंदिर में ही छोड़ जाते हैं ।
Recent Comments