Month: April 2018
पूर्ण उपासना
सुबह सबके कल्याण की प्रार्थना करें मंदिर में भगवान के गुणों का गुणगान रात्रि में आत्मचिंतन आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
सुप्तावस्था में ज्ञान
जैसे सोते समय आँखें बंद होने पर भी सपने दिखते हैं, वैसे ही सुप्तावस्था में मति/श्रुत ज्ञान रहता है । मुनि श्री सुधासागर जी
बुरा समय
परिंदे शुक्रगुजार हैं, पतझड़ के भी दोस्तो.. तिनके कहां से लाते, अगर सदा बहार रहती..! (मंजू)
मूर्तियों पर चिन्ह
एक से अधिक चिन्ह/उलटे सांतियादि वाली मूर्तियाँ सिद्धी के लिये बनाई जाती हैं, ताकि दर्शक चौकें, पर यह ठीक नहीं है । मुनि श्री सुधासागर
भक्ति
प्रभु! पर्वत के चरणों में रहने वाली जमीन को चाहे तलहटी कहलाने का गौरव मिलता हो, परन्तु,प्रभु! आपके चरणों में रहने वाले भक्त को तो
धर्म और पुण्य
धर्म द्रव्य रूप है, पुण्य आत्मा का परिणाम/पर्याय रूप । पाठशाला
काले वस्त्र
काले रंग में दाग छुप जाते हैं । मंदिर में हम अपने दाग उज़ागर करने जाते हैं, इसलिये भी मंदिर में काले कपड़े पहन कर
मिथ्यात्व
श्रावक संकट में भगवान की पूजा-पाठ करता है तो मिथ्यात्व नहीं । पर जब भी पूजा-पाठ करता है तब कुछ पाने के लिये करता है,
द्रव्य / गुण / पर्याय
ये तीनों भिन्न हैं या अभिन्न ? अभिन्न, पर वर्णन की दृष्टि से भिन्न, जैसे सोने का पीलापन । पाठशाला
सुखकारी / हितकारी
सुख तात्कालिक होता है । हित कागज़ों में लगे पिन जैसा होता है जो जोड़कर तो रखता है पर चुभता भी है । क्यों ना
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