Month: April 2018
ईश्वरीय मदद
जीवन में जब भी हम ख़राब दौर से गुजरते हैं… तब मन में यह विचार ज़रूर आता है कि… परमात्मा मेरी परेशानी देखता क्यों नहीं
प्रगति
अभी तो वर्णमाला के “क” (क्रोध. कामादि कर्म) से “ख” (‘ख़राब’ कर्म ‘खाली’ करने ) तक भी गमन नहीं हो पाया है । चिंतन
वीतरागता
मुसीबत के समय गृहस्थ एक दूसरे की हर संभव मदद करेगा । मुनि सिर्फ प्रार्थना करेगा । भगवान कुछ भी नहीं करेगा । राष्ट्रपति के
गोत्र
त्रियंच यदि पंचम गुणस्थानवर्ती भी हों और आहार के समय चौके में आ जाये तो अंतराय !! यह है गोत्र का प्रभाव । जैन धर्म
वैयावृत्ति
सोलह कारण भावना में 10 तरह की वैयावृत्ति में आचार्य से लेकर मनोज्ञ (मुनि) तक याने साधुओं का महत्व दर्शाया है । मुनि श्री सुधासागर
ज्ञान और धर्म
ज्ञान पूर्ण नहीं तो धर्म को भी अपूर्ण मानें ? ज्ञान अभिव्यक्ति है इसलिये अपूर्ण, धर्म अनुभूति है इसलिये पूर्ण । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
निर्दोष दृष्टि
लोग मेरी कमियाँ बताते हैं तब मेरा भी मन करता है – मैं भी उनकी कमियाँ बताऊँ, पर बता नहीं पाता, क्योंकि मुझे उनमें कमियाँ
पुण्य/पाप
यदि इनमें भेद नहीं होता तो आगम में अलग अलग क्यों कहे जाते (सिर्फ कर्म कह देते) । हाँ ! श्रमणों के लिये अभेद हैं
परोपकार
निकलता है, हर सुबह एक नया सूरज; यह बताने के लिए कि उजाले बांट देने से उजाले कम नहीं होते ! ????????एकता????????
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