Day: May 2, 2018

बड़ा पाप/पुण्य

पाप से भी बड़ा पाप है – “पाप को स्वीकार ना करना” । स्वीकार करते ही वह प्रायश्चित बन जाता है, तप कहलाता है ।

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प्रदेशी

बहुप्रदेशी भी अभेद दृष्टि से एक प्रदेशी कहा जा सकता है, क्योंकि प्रदेश खंड़ित नहीं होते जैसे सूत की माला में गाँठें । जैसे चारों

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मंगल आशीष

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May 2, 2018