Month: May 2018
लापरवाही
दुर्घटनायें मोड़ों पर कम, सीधी सड़कों पर अधिक होती हैं । काँटे वहाँ ज्यादा लगते हैं जहाँ फूल बिछे होते हैं । दु:ख सुखों के
अभिषेक
गृहस्थों के लिये सबसे सस्ता, कम समय का, जो मुनियों के लिये भी प्राप्त नहीं, उनसे भी ज्यादा पूज्य (क्योंकि वे भी माथे पर धारण
मरणकाल में सम्बोधन
मरणकाल में रुचिकर धार्मिक-क्रियाओं का ही स्मरण करायें । संसारी चीज़ों से वैराग्य करायें । यदि स्वाध्यायी हों तो ही आत्मबोध दें ।
गुरु और साधुता
सच्चा गुरु मिल जाये तो साधुता निभाना आसान हो जाता है । पर सच्चे गुरु की थाह लेना वैसा ही है जैसे कोई रस्सी में
भोग
चासनी के बीच मक्खी कूदी, लिपटी, मर गयी, दूसरी चासनी के किनारे बैठी, खायी, उड़ गयी । मिथ्यादृष्टि/सम्यग्दृष्टि में ऐसा ही अंतर होता है, मिथ्यादृष्टि
योग / उपयोग
“योग” मिलते हैं, उनका “उपयोग” अच्छे या बुरे में करना “प्रयोग” है , अच्छे में “सदुपयोग”, बुरे में “दुरुपयोग” । अच्छा स्वास्थ्य योग है, भोगों
दर्शनावरण
पहले चार सब जीवों के हर समय उदय में रहते हैं । बाकी पाँच निद्राओं में से कोई एक उदय में रहती है और ये
वृद्धावस्था
ड़ाल पर पका आम पिलपिला हो जाता है । (संकल्प ढ़ीले पड़ जाते हैं, Tasty Buds भी weak हो जाती हैं) । इसीलिये जब आम
आगम/आध्यात्म
आध्यात्म में सिर्फ अमृत/मोक्षमार्ग का वर्णन है । आगम में विष और अमृत दोनों का/मोक्षमार्ग तथा संसार का भी वर्णन है । मुनि श्री सुधासागर
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